सूर्य से शुभ फल प्राप्ति हेतु माणिक्य या कोई और भी रत्न धारण कर सकते हैं ?।। Surya Se Shubh Fal Prapti Hetu Manikya Ya Koi Or Ratna.
हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,
मित्रों, रत्नों को हम मुख्यत: तीन वर्गों में विभाजित कर सकते हैं- पहला प्राणिज रत्न- प्राणिज रत्न वे हैं, जो कि जीव-जन्तुओं के शरीर से प्राप्त किए जाते हैं । जैसे- गजमुक्ता, मूँगा आदि ।।
दूसरा वानस्पतिक रत्न:- वानस्पतिक रत्न वे होते हैं, जो कि वनस्पतियों की विशेष प्रकार की क्रियाशीलता के कारण उत्पन्न होते हैं । जैसे- वंशलोचन, तृणमणि और जेट आदि ।।
तीसरा खनिज रत्न:- यह ऐसे रत्न होते हैं, जो प्राकृतिक रचनाओं अर्थात चट्टान, भूगर्भ, समुद्र आदि में मिलते हैं । 'रत्न' शब्द आधुनिक युग या मध्यकालीन युग की देन नहीं अपितु अति प्राचीन युग की देन हैं ।।
क्योंकि ऋग्वेद विश्व का अति प्राचीन ग्रंथ है । ऋग्वेद के अनेकों मन्त्रों में रत्न शब्द का प्रयोग हुआ है । उदाहरणार्थ-
अग्निमीले पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम् ।
होत्तारं रत्न धात्तमम् ।। (ऋ.1-1-1)
उपरोक्त उदाहरण से प्रमाणित है, कि ऋग्वेद के प्रथम मन्त्र में ही अग्नि को रत्न धात्तमम् कहा गया है । ऐसे ही आगे भी अनेक मन्त्रों में प्रयोग हुआ है तथा अन्य प्राचीन ग्रंथ रामायण, महाभारत आदि अनेक ग्रन्थों में भी रत्न शब्द का वर्णन देखने को मिलता है ।।
वृहद् संहिता, भावप्रकाश, रस रत्न समुच्चय, आयुर्वेद प्रकाश में तो रत्नों के गुण-दोष तथा प्रयोग का स्पष्ट वर्णन किया गया है ।।
मित्रों, सूर्य को शक्तिशाली बनाने के लिए अधिकांशतः माणिक्य रत्न का परामर्श दिया जाता है । 3 रत्ती के माणिक को स्वर्ण की अंगूठी में, अनामिका अंगुली में रविवार के दिन पुष्य योग में धारण करना चाहिए ।।
माणिक्य- रत्न गुलाबी तथा सुर्ख लाल रंग का होता है । यह काले रंग का भी पाया जाता है । लेकिन गुलाबी रंग का माणिक्य सर्व श्रेष्ठ माना गया है ।।
दूसरा रक्तमणि, यह पत्थर लाल, जामुनी रंग का सुर्ख में कत्थे तथा गोमेद के रंग का भी पाया जाता है । इसे 'तामड़ा' भी कहा जाता है ।।
तीसरा रक्ताश्म, यह पत्थर गुम, कठोर, मलिन, पीला तथा नीले रंग लिए, हरे रंग का तथा ऊपर लाल रंग का छींटा भी होता है ।।
चौथा रातरतुआ, यह स्वच्छ लाल तथा गेरुआ रंग का होता है । यह रात्रि ज्वर को दूर करने का काम करता है ।।
पाँचवां शेष मणि, यह काले डोरे से युक्त सफेद रंग का होता है । सफेद रंग के डोरे से युक्त काले रंग के पत्थर को सुलेमानी कहा जाता है ।।
छठा शैलमणि, यह पत्थर मृदु, स्वच्छ, सफेद तथा पारदर्शक होता है । इसे स्फटिक तथा बिल्लौर भी कहते हैं ।।
सातवाँ शोभामणि, यह पत्थर स्वच्छ पारदर्शक तथा अनेक रंगों में पाया जाता है । इसे वैक्रान्त भी कहते हैं ।।
सूर्य के लिये माणिक्य, चन्द्रमा के लिये मोती, मंगल के लिये मूंगा, बुध के लिये पन्ना, बृहस्पति के लिये पुखराज, शुक्र के लिये हीरा, शनि के लिये नीलम, राहु के लिये गोमेद और केतु के लिये लहसुनिया ।।
पुराणों में कुछ ऐसे मणि रत्नों का वर्णन भी पाया जाता है, जो पृथ्वी पर पाए नहीं जाते । लेकिन माणिक्य के साथ नीलम, गोमेद और लहसुनिया धारण करना वर्जित होता है ।।
ज्योतिष के सभी पहलू पर विस्तृत समझाकर बताया गया बहुत सा हमारा विडियो हमारे YouTube के चैनल पर देखें । इस लिंक पर क्लिक करके हमारे सभी विडियोज को देख सकते हैं - Click Here & Watch My YouTube Video's.
इस तरह की अन्य बहुत सारी जानकारियों, ज्योतिष के बहुत से लेख, टिप्स & ट्रिक्स पढने के लिये हमारे ब्लॉग एवं वेबसाइट पर जायें तथा हमारे फेसबुक पेज को अवश्य लाइक करें, प्लीज - My facebook Page.
वास्तु विजिटिंग के लिये तथा अपनी कुण्डली दिखाकर उचित सलाह लेने एवं अपनी कुण्डली बनवाने अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति के लिए संपर्क करें ।।
किसी भी तरह के पूजा-पाठ, विधी-विधान, ग्रह दोष शान्ति आदि के लिए तथा बड़े से बड़े अनुष्ठान हेतु योग्य एवं विद्वान् ब्राह्मण हमारे यहाँ उपलब्ध हैं ।।
संपर्क करें:- बालाजी ज्योतिष केन्द्र, गायत्री मंदिर के बाजु में, मेन रोड़, मन्दिर फलिया, आमली, सिलवासा ।।
0 Comments