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कुण्डली में किस घर में बैठे या किन ग्रहों के रत्न पहन सकते हैं ।।

कुण्डली में किस घर में बैठे या किन ग्रहों के रत्न पहन सकते हैं ।। Kis Grahon Ke Ratna Dharan Kar Sakate Hai.


हैल्लो फ्रेण्ड्सzzz,

मित्रों, सामान्यत: रत्नों के बारे में अधिकांश लोगों को भ्रांति होती है । जैसे विवाह न हो रहा हो तो पुखराज पहन लें ? मांगलिक हो तो मूँगा पहन लें ? गुस्सा आता हो तो मोती पहन लें ? लेकिन कौन सा रत्न कब पहना जाए इसके लिए कुंडली का सूक्ष्म निरीक्षण बहुत जरूरी होता है ।।

लग्न कुंडली, नवमांश, ग्रहों का बलाबल, दशा-महादशायें आदि सभी का गहराई से अध्ययन करने के बाद ही रत्न पहनने की सलाह दी जाती है । यूँ ही रत्न पहन लेना जीवन तक के लिये नुकसानदायक हो सकता है ।।

मित्रों, जो मोती मानसिक शान्ति का प्रतिक या कारक माना जाता है, वही मोती डिप्रेशन भी दे सकता है । मूँगा प्रोपर्टी देनेवाला माना जाता है, लेकिन वही मूंगा आपका रक्तचाप गड़बड़ कर सकता है । पुखराज आपका अहंकार बढ़ा सकता है और आपका पेट गड़बड़ कर सकता है ।।


सामान्यत: लग्न कुण्डली के अनुसार कारक ग्रहों के (लग्न, नवम, पंचम) रत्न पहने जा सकते हैं । जो ग्रह शुभ भावों के स्वामी होकर पाप प्रभाव में हो, अस्त हो या श‍त्रु क्षेत्री हो उन्हें प्रबल बनाने के लिए भी उनके रत्न पहनना लाभदायक सिद्ध हो सकता है ।।

मित्रों, रत्न पहनने के लिए दशा-महादशाओं का अध्ययन भी जरूरी होता है । केंद्र या त्रिकोण के स्वामी ग्रह की महादशा में उस ग्रह का रत्न पहनने से अधिक लाभ मिलता है ।।

3, 6, 8, 12 के स्वामी ग्रहों के रत्न कभी नहीं पहनने चाहिए । इनको शांत रखने के लिए दान एवं मंत्र जप का सहारा लेना चाहिए । रत्न निर्धारित करने के बाद उन्हें पहनने का भी विशेष तरीका होता है । रत्न को अँगूठी या लॉकेट के रूप में निर्धारित धातु (सोना, चाँदी, ताँबा, पीतल) में बनवाना चाहिये ।।

जिस ग्रह का स्टोन धारण करना हो उस ग्रह के लिए निहित वार वाले दिन शुभ घड़ी में रत्न पहनना चाहिये । इसके पहले रत्न को दो दिन कच्चे दूध में भिगोकर रखें । शुभ घड़ी में उस ग्रह के मंत्र का निश्चित संख्या में जप करके रत्न को सिद्ध करें ।।

अगर आप ये जाप 21 हजार से 1 लाख तक कर सकते हैं, तो अत्युत्तम होगा । तत्पश्चात इष्ट देव का स्मरण कर रत्न को धूप-दीप दिखाकर उसे प्रसन्न मन से धारण करना चाहिये । इस विधि से रत्न धारण करने से ही वह पूर्ण फल देता है ।।

मंत्र जप एवं रत्न की सिद्धि के लिए किसी विद्वान् ब्राह्मण की मदद भी ली जा सकती है । शनि और राहु के रत्न कुंडली के सूक्ष्म निरीक्षण के बाद ही पहनना चाहिए अन्यथा इनसे भयंकर नुकसान या जेल यात्रा भी हो सकता है ।।



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